"अल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुआल-हय्युल-क़य्यूम। ला तअख़ुज़ुहू सिनतुं व-ला नौम। लहू मा फ़िस्समावाती व-माफ़िल-अर्ज़। मन ज़ल-लज़ी यश्फ़उ इंदहू इल्ला बि-इज़्निह। यअलमु मा बैना अईदीहिम व-मा ख़ल्फ़हुम। व-ला युहीतूना बि-शयिम मिन इल्मिही इल्ला बिमा शा। वसिअ कुर्सीय्यहुस्समावाती व-ल-अर्ज़। व-ला यऊदुहू हिफ़्ज़ुहुम। व-हुवल अलीय्युल अज़ीम।"
तर्जुमा:
"अल्लाह, उसके सिवा कोई माबूद नहीं। वही ज़िंदा (अल-हय्य) और हर चीज़ को संभालने वाला (अल-क़य्यूम) है। उसे न झपकी आती है और न नींद। जो कुछ आसमानों और ज़मीन में है, वह सब उसी का है। कौन है जो उसकी इजाज़त के बिना सिफारिश कर सके? वह जानता है जो उनके सामने है और जो उनके पीछे है। और वे उसके इल्म में से कुछ भी नहीं जान सकते सिवाय इसके जो वह चाहे। उसका कुर्सी (साम्राज्य) आसमानों और ज़मीन को घेरे हुए है। और उनके संरक्षण में उसे कोई थकावट नहीं होती। और वह बुलंदी वाला (अल-अली) और अज़मत वाला (अल-अज़ीम) है।"
आयतुल कुर्सी की फ़ज़ीलत:
1. इसे दिन और रात में पढ़ने से सुरक्षा मिलती है।
2. घर की बुराईयों और शैतान से हिफ़ाज़त होती है।
3. इसे हर नमाज़ के बाद पढ़ने की फज़ीलत है।
4. यह अल्लाह की ताकत और कुदरत का बयान है।