اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْتَخِيرُكَ بِعِلْمِكَ، وَأَسْتَقْدِرُكَ بِقُدْرَتِكَ، وَأَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ الْعَظِيمِ، فَإِنَّكَ تَقْدِرُ وَلَا أَقْدِرُ، وَتَعْلَمُ وَلَا أَعْلَمُ، وَأَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ. اللَّهُمَّ إِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الْأَمْرَ خَيْرٌ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي، أَوْ قَالَ: فِي عَاجِلِ أَمْرِي وَآجِلِهِ، فَاقْدُرْهُ لِي وَيَسِّرْهُ لِي، ثُمَّ بَارِكْ لِي فِيهِ، وَإِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الْأَمْرَ شَرٌّ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي، أَوْ قَالَ: فِي عَاجِلِ أَمْرِي وَآجِلِهِ، فَاصْرِفْهُ عَنِّي وَاصْرِفْنِي عَنْهُ، وَاقْدُرْ لِيَ الْخَيْرَ حَيْثُ كَانَ، ثُمَّ أَرْضِنِي

"अल्लाहुम्मा इन्नी अस्तखीरोका बि-इल्मिका, वा अस्तक़दिरुका बि-कुद्रतिका, वा अस'अलुका मिन फ़ज़्लिकल अज़ीम। फ़-इनक तक़दिरु व-ला अक़दिरु, व-तअलमु व-ला अअलमु, व-अंत अल्लामुल-ग़यूब। अल्लाहुम्मा इन कुन्ता तअलमु अन्ना हाज़ल-अमरा खैरुल ली फी दीनी व-मआशी व-आकिबति अम्री (या कहा: फी आजिलि अम्री वा आजिलिह), फ़क़दिरहु ली व-यस्सिरहु ली, सुम्म बारिक ली फीह। वा इन कुन्ता तअलमु अन्ना हाज़ल-अमरा शर्रुल ली फी दीनी व-मआशी व-आकिबति अम्री (या कहा: फी आजिलि अम्री वा आजिलिह), फ़स्रिफ्हु अन्नी वस्रिफ़्नी अन्हु, वक़दिर ली अल-खैर हयसू कान, सुम्म अर्ज़िनी।"

तर्जुमा:

"हे अल्लाह! मैं तुझसे तेरे इल्म के ज़रिए राह दिखाने की दुआ करता हूँ, तेरी कुदरत के ज़रिए ताकत माँगता हूँ, और तेरे अज़ीम फज़्ल से सवाल करता हूँ। तू (हर चीज़ पर) कुदरत रखता है, और मैं नहीं। तू जानता है, और मैं नहीं। और तू सबसे छुपी हुई चीज़ों का जानने वाला है। हे अल्लाह! अगर तू जानता है कि यह काम मेरे लिए मेरे दीन, मेरी ज़िंदगी और मेरे काम के नतीजे के लिहाज़ से अच्छा है, तो इसे मेरे लिए मुकद्दर कर और इसे मेरे लिए आसान कर दे, और उसमें मेरे लिए बरकत दे। और अगर तू जानता है कि यह काम मेरे लिए मेरे दीन, मेरी ज़िंदगी और मेरे काम के नतीजे के लिहाज़ से बुरा है, तो इसे मुझसे दूर कर दे और मुझे इससे दूर कर दे, और मेरे लिए जहाँ कहीं भी भलाई हो, उसे मुकद्दर कर और मुझे उससे राज़ी कर दे।"

इस्तिखारा कैसे करें:

1. वज़ू करें।
2. दो नफ्ल (इबादत के लिए) नमाज़ पढ़ें।
3. नमाज़ के बाद यह दुआ पढ़ें और उस काम का ज़िक्र करें जिसमें रहनुमाई चाहते हैं।
4. अल्लाह पर भरोसा रखें और उसके दिए हुए इशारों का इंतज़ार करें।