Rooh Afza एक खास शरबत है जो हर ईद और गर्मियों में लोगों की पसंद बना रहता है। इस बार की ईद अलग होगी, लेकिन ज़ूम कॉल और परिवार के साथ जुड़ने के बीच, Rooh Afza की मिठास त्योहार का मज़ा बढ़ा देती है। आइए इसके रोचक इतिहास को जानते हैं।
Rooh Afza का जन्मRooh Afza को 1906 में हकीम अब्दुल मजीद ने बनाया था, जब वे दिल्ली में यूनानी दवाओं की दुकान, हamdard, चला रहे थे। इस शरबत में पोर्टुलाका के बीज, चकोरी, अंगूर, धनिया और अन्य सुगंधित जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है।
भारत-पाकिस्तान विभाजन और Rooh Afzaविभाजन के समय, हकीम अब्दुल मजीद के बड़े बेटे दिल्ली में रहे और छोटे बेटे पाकिस्तान चले गए, जहां उन्होंने भी Hamdard की शुरुआत की। आज Rooh Afza भारत और पाकिस्तान दोनों जगह बेहद लोकप्रिय है और इफ्तार के समय खजूर, समोसे और बिरयानी के साथ ज़रूर परोसा जाता है।
Rooh Afza की पैकेजिंगशुरुआत में, Rooh Afza के लिए पुरानी बोतलों का उपयोग किया जाता था। बाद में, 750ml की सफेद कांच की बोतल खासतौर पर तैयार करवाई गई, जिसे ‘pole bottles’ कहा जाता था। इस शरबत को बटर-पेपर में लपेटकर बेचा जाता था।
Rooh Afza नाम का अर्थ और इतिहास‘Rooh Afza’ नाम गुलज़ार-ए-नसीम नामक एक पुस्तक से लिया गया है, जो 1254 में प्रकाशित हुई थी। इसमें ‘Rooh Afza’ फिरदौस (स्वर्ग) के राजा की बेटी का नाम था। पाकिस्तान में इसे ‘समर ड्रिंक ऑफ़ द ईस्ट’ कहा जाता है।
Rooh Afza के नए संस्करण
Hamdard ने समय के साथ Rooh Afza Go नाम से कार्बोनेटेड ड्रिंक भी लॉन्च किया है। इस शरबत का उपयोग गर्मी और डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए किया जाता है। उर्दू में इसका मतलब है ‘आत्मा को ताज़गी देने वाला’।
Rooh Afza की बहुपयोगिता
यह सिर्फ शरबत ही नहीं, बल्कि इसे चीज़केक, फिरनी, कस्टर्ड, मिल्कशेक, आइसक्रीम और यहाँ तक कि आलू चाट में भी इस्तेमाल किया जाता है।
Rooh Afza का आइकॉनिक डिज़ाइनMirza Noor Ahmad ने इसकी प्रसिद्ध बोतल की डिज़ाइन बनाई थी, जिसे Bombay के Bolton Press ने छापा था।
Rooh Afza की लोकप्रियता
हाल ही में उत्पादन में कमी आई थी, लेकिन अब Hamdard Laboratories ने ऐलान किया है कि उत्पादन फिर से शुरू होगा। Rooh Afza हमेशा त्योहारों में यादों और परिवार को जोड़ने वाला पेय बना रहेगा।